Hanuman Ashtak हनुमान अष्टक 2024

Hanuman Ashtak हनुमान अष्टक

हनुमान जी, जिन्हें बल, साहस और भक्ति का प्रतीक माना जाता है, भारतीय पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। हनुमान अष्टक, उनके भक्ति और श्रद्धा का एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है। इस लेख में हम हनुमान अष्टक के प्रत्येक अंश की गहराई से चर्चा करेंगे, इसके लाभों को समझेंगे, और पूजा विधि के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे।

हनुमान अष्टक का परिचय

हनुमान अष्टक एक दिव्य स्तोत्र है जिसमें हनुमान जी की आठ विशेष गुणों की स्तुति की जाती है। यह स्तोत्र भक्तों को हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने और उनके शक्तिशाली गुणों का आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है। हनुमान अष्टक को नियमित रूप से पढ़ने से भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।

Hanuman Ashtak की पंक्तियाँ

Hanuman Ashtak
Hanuman Ashtak हनुमान अष्टक की पंक्तियाँ

वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सुर।
राम लक्ष्मण जानकी, हृदय बसहु सुर पूर॥

लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सुर॥

रामदूत अतुलित बलधामा, अंजनिपुत्र पवनसुत नामा।
महाबीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी॥

कंचन वरण विराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुंचित केसा।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै, काँधे मूँज जनेऊ साजै॥

शंकर सुवन केसरी नन्दन, तेज प्रताप महा जग वन्दन।
विद्यावान गुणी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया।
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा, विकट रूप धरि लंक जरावा॥

भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचन्द्र के काज सँवारे।
लाय सजीवन लखन जियाये, श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई।
सहस बदन तुम्हरो जस गावे, अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावे॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद शारद सहित अहीसा।
यम कुबेर दिगपाल जहाँते, कबी कोबिद कहि सके कहाँते॥

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राज पद दीन्हा।
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना, लंकेश्वर भए सब जग जाना॥

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही, जलधि लाँघि गये अचरज नाही॥

दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।
राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना।
आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हाँक तें काँपै॥

भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महाबीर जब नाम सुनावै।
नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा॥

संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।
सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा॥

और मनोरथ जो कोई लावै, सोइ अमित जीवन फल पावै।
चारों युग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥

साधु संत के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता॥

राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा।
तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै॥

अन्त काल रघुवर पुर जाई, जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई।
और देवता चित्त न धरई, हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥

संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।
जै जै जै हनुमान गोसाई, कृपा करहु गुरुदेव की नाई॥

जो शत बार पाठ कर कोई, छूटहिं बंदि महा सुख होई।
जो यह पढ़ै हनुमान अष्टक, सदा भवत दुःख बिसरनस्तक॥

हनुमान अष्टक की पंक्तियाँ हनुमान जी के विभिन्न गुणों और विशेषताओं की स्तुति करती हैं। निम्नलिखित प्रत्येक पंक्ति के विश्लेषण के साथ, हम उनके महत्व को समझेंगे:

  1. नमः श्री हनुमते रुद्रात्मकायइस पंक्ति में हनुमान जी को रुद्रस्वरूप कहा गया है। रुद्र शिव जी का एक रूप हैं, जो शक्ति और विनाश के देवता हैं। हनुमान जी की रुद्रस्वरूपता उनके बल और साहस का प्रतीक है। इस पंक्ति से हम उनकी शक्ति और वीरता का सम्मान करते हैं।
  2. नमः श्री रामनाथाय कृपालुभक्तायहनुमान जी श्री राम के परम भक्त हैं और उनकी कृपा से हमें अनंत सुख और शांति प्राप्त होती है। इस पंक्ति में हनुमान जी की भक्ति और कृपालु स्वभाव की प्रशंसा की गई है। उनके भक्तों को उनके आशीर्वाद से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।
  3. नमः श्री नर्मदा जलस्नानं पापनाशकायइस पंक्ति में हनुमान जी के नर्मदा नदी के जल स्नान से पापों का नाश होने की बात की गई है। नर्मदा नदी भारतीय धार्मिकता में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। हनुमान जी की इस पंक्ति में उनके पाप नाशक गुणों का उल्लेख किया गया है।
  4. नमः श्री यज्ञविष्णु दैत्यसंगघातकायइस पंक्ति में हनुमान जी को यज्ञ और विष्णु के दैत्य पर विजय प्राप्त करने वाला बताया गया है। यज्ञ और विष्णु के दैत्य आमतौर पर राक्षसों और बुराई के प्रतीक होते हैं। हनुमान जी की शक्ति और वीरता से इन पर विजय प्राप्त होती है।
  5. नमः श्री भाग्यदायक सुग्रीवसखायसुग्रीव हनुमान जी के परम मित्र हैं और उनके भाग्यवर्धन में हनुमान जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस पंक्ति में हनुमान जी की मित्रता और भाग्यवर्धक गुणों की स्तुति की गई है। उनके आशीर्वाद से सुग्रीव को नई शक्ति और साहस मिला था।
  6. नमः श्री पौरुषप्रिय शत्रुनाशकायहनुमान जी अपने पौरुष और साहस के कारण शत्रुओं का नाश करने में सक्षम हैं। इस पंक्ति में हनुमान जी की शक्ति और वीरता का वर्णन किया गया है। उनके बल से शत्रु पराजित होते हैं और भक्तों को विजय प्राप्त होती है।
  7. नमः श्री सद्गुणस्वरूप मुनिप्रणतायइस पंक्ति में हनुमान जी के सद्गुणों की प्रशंसा की गई है। मुनि और साधु उनके गुणों की पूजा करते हैं और उन्हें आदर्श मानते हैं। हनुमान जी की सच्चाई, ईमानदारी और भक्ति का सम्मान किया गया है।
  8. नमः श्री वीर्यशक्ति सामर्थ्यमानायहनुमान जी वीर्य और शक्ति से पूर्ण हैं। इस पंक्ति में उनके वीरता और सामर्थ्य की स्तुति की गई है। उनके बल और साहस से भक्तों को प्रेरणा मिलती है और वे कठिनाइयों का सामना कर पाते हैं।

Hanuman Ashtak के लाभ

हनुमान अष्टक का नियमित पाठ करने से कई लाभ हो सकते हैं। ये लाभ मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं:

मानसिक शांति और शक्ति

हनुमान अष्टक का पाठ मानसिक शांति और शक्ति प्रदान करता है। हनुमान जी की भक्ति से मन की चिंता और तनाव दूर होते हैं। यह स्तोत्र ध्यान और साधना में भी सहायक होता है, जिससे मन की एकाग्रता बढ़ती है।

शारीरिक स्वास्थ्य

हनुमान जी की कृपा से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। नियमित पाठ से शरीर में ऊर्जा और स्फूर्ति बनी रहती है। यह स्तोत्र मानसिक थकावट और शारीरिक कमजोरी को दूर करने में मदद करता है।

आध्यात्मिक उन्नति

हनुमान अष्टक का पाठ आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। हनुमान जी की भक्ति और आशीर्वाद से आत्मिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है। यह स्तोत्र भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान और अनुभव प्रदान करता है।

पापों का नाश

हनुमान अष्टक का पाठ पापों के नाश में सहायक होता है। हनुमान जी की भक्ति से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है। यह स्तोत्र पापों को नष्ट करने और जीवन को सकारात्मक दिशा देने में सहायक है।

शत्रुओं पर विजय

हनुमान अष्टक का जाप शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में मदद करता है। हनुमान जी की शक्ति और वीरता से भक्तों को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। यह स्तोत्र संघर्ष और विपत्तियों को दूर करने में भी सहायक होता है।

हनुमान अष्टक की पूजा विधि

हनुमान अष्टक की पूजा विधि सरल और प्रभावशाली है। निम्नलिखित चरणों का पालन करके आप सही तरीके से हनुमान अष्टक की पूजा कर सकते हैं:

पूजा की तैयारी

  1. स्वच्छता: सबसे पहले, पूजा स्थल को स्वच्छ करें और एक शांत स्थान चुनें।
  2. आवश्यक सामग्री: पूजा के लिए एक दीपक, अगरबत्ती, फूल, और हनुमान जी की मूर्ति या चित्र की आवश्यकता होती है।
  3. पवित्रता: स्नान करके शुद्ध मन से पूजा करने की तैयारी करें।

पूजा विधि

  1. दीपक जलाएं: हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं। यह प्रकाश और पवित्रता का प्रतीक है।
  2. ध्यान और मंत्र: हनुमान जी के चित्र या मूर्ति के सामने ध्यान लगाएं और उनके नाम का जाप करें।
  3. हनुमान अष्टक का पाठ: हनुमान अष्टक का पाठ ध्यानपूर्वक करें। हर पंक्ति का अर्थ समझते हुए पाठ करें।
  4. प्रार्थना: पाठ के बाद, हनुमान जी से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करें।

विशेष ध्यान

  1. समर्पण: पूजा करते समय पूरी श्रद्धा और समर्पण रखें।
  2. सच्ची भक्ति: हनुमान जी के प्रति सच्ची भक्ति और श्रद्धा से पूजा करें।
  3. प्रसाद: पूजा के बाद प्रसाद वितरित करें और हनुमान जी के आशीर्वाद को ग्रहण करें।

Hanuman Chalisa In Hindi

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सामान्य प्रश्न (FAQs) Hanuman Ashtak हनुमान अष्टक

सामान्य प्रश्न (FAQs) Hanuman Ashtak हनुमान अष्टक
FAQ Hanuman Ashtak
  1. हनुमान अष्टक का पाठ कितनी बार करना चाहिए?

    हनुमान अष्टक का पाठ रोजाना या सप्ताह में कम से कम एक बार करना चाहिए। नियमित पाठ से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

  2. क्या हनुमान अष्टक का पाठ घर पर किया जा सकता है?

    जी हां, हनुमान अष्टक का पाठ घर पर भी किया जा सकता है। इसके लिए आपको एक शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करना होगा।

  3. हनुमान अष्टक का पाठ करते समय क्या विशेष ध्यान रखना चाहिए?

    पाठ करते समय शांत मन और एकाग्रता बनाए रखें। हनुमान जी के प्रति श्रद्धा और भक्ति से पाठ करें।

  4. हनुमान अष्टक का पाठ किसी विशेष समय पर करना चाहिए?

    सुबह के समय या संध्याकाल का समय श्रेष्ठ माना जाता है। इन समयों में मन शांत रहता है और ध्यान लगाने में आसानी होती है।

  5. क्या हनुमान अष्टक का पाठ बच्चों के लिए भी लाभकारी है?

    हाँ, हनुमान अष्टक का पाठ बच्चों के लिए भी लाभकारी है। यह उन्हें भी भक्ति और शांति का अनुभव कराता है।

निष्कर्ष – Hanuman Ashtak हनुमान अष्टक

हनुमान अष्टक (Hanuman Ashtak) हनुमान जी की भक्ति और उनके दिव्य गुणों का एक अद्वितीय स्तोत्र है। इसके नियमित पाठ से भौतिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। इस लेख में हमने हनुमान अष्टक की पंक्तियों की विस्तृत चर्चा की, इसके लाभों को समझा, और पूजा विधि की जानकारी प्राप्त की। आशा है कि यह लेख आपको हनुमान अष्टक के महत्व को समझने में और हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने में मदद करेगा।

यदि आपके पास हनुमान अष्टक या उसकी पूजा से संबंधित कोई और प्रश्न हैं, तो कृपया हमें बताएं। हम आपकी सहायता करने के लिए हमेशा तैयार हैं।